जब जब तेरी याद मैं ये तन्हा दिल घबराया
बेचैन और उदास मन मैं ये दर्द का बादल छाया
तन्हाई, अकेलेपन मैं तेरी यादौं का ये शमां
बस कहता है, ना अब तू है, ना तेरी आहटें हैं
बस अब तो मैं हूँ और मेरी तन्हाईयां हैं ....
दिल भी खो बैठा अपनी जुस्तजू कहीं
गज़लें रास नही आतीं, दिल जीने में घबराता है
बार बार टकरातीं हुयी रेत पर ये समुन्द्र की लहरें
बस कहतीं हैं कहाँ है वो तेरी मीठी बातें,
और वो तेरे होने का सुहाना सा एहसास.....
बस कहता है, ना अब तू है, ना तेरी आहटें हैं
बस अब तो मैं हूँ और मेरी तन्हाईयां हैं ....
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-पी. एस.
बघेल